CAB & NRC क्या है? जानिए सभी महत्वपूर्ण बातें

नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) संसद द्वारा 11 दिसंबर को पारित करा जा चुका है, जिसके बाद अब यह सिर्फ एक बिल नहीं रह गया बल्कि अधिनियम (CAA) बन चुका है और इसने पूरे देश में विवाद को जन्म देदिया है।

हालाँकि इस समय विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे है, सोचने की बात यह है की अभी भी जनता इस अधिनियम ठीक से समझ नहीं पायी है।

हमारे इस ब्लॉग में हम आपको CAB तथा NRC की बारीकियों को समझाने की कोशिश करेंगे, ताकि आपको भी अंदाज़ा हो के क्यों ये बिल देश में इतना बवाल मचा रहा है, और देश पर इस बिल का क्या असर पड़ेगा । लेकिन CAB के बारे में बात करने से पहले हम आपको NRC समझाना चाहेंगे जिसके बिना CAB की बात करना अधूरा होगा ।

NRC या ने की National Register of Citizens of India अंग्रेजी में, तथा राष्ट्रीय नागरिक पंजी हिंदी में भारतीय नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर है जिसमे उन भारतीय नागरिकों के नाम हैं जो असम में रहते हैं।

NRC को भारत की 1951 में हुई जनगणना के बाद तैयार किया गया था। इस डाटा को जनगणना के दौरान वर्णित व्यक्तियों की इनफार्मेशन के आधार पर तैयार किया। इसके अनुसार जो लोग असम में बांग्लादेश बनने के पहले (25 मार्च 1971 के पहले) आए है, केवल उन्हें ही भारत का नागरिक माना जाएगा। लेकिन बाद में इसे बनाये रखना मुश्किल हो गया।

NRC को असम की जातीय विशिष्टता बनाए रखने के लिए बनाया गया था।

हालाँकि सन्न 2005 भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने NRC को असंवैधानिक करार दे दिया। जिसके बाद सरकार ने इसका काम ठीक तरीके से करना चालू करदिया। एक दशक में प्रक्रिया बड़ी असंतोषजनक रहने की वजह से सर्वोच्च न्यायालय ने 2013 में प्रक्रिया का निर्देशन और निगरानी शुरू की।

सरकार ने 31 अगस्त 2019 को NRC प्रकाशित किया, जिसमे 3.3 करोड़ की जनसंख्या में से 3.1 करोड़ लोग इस सूची में आये, अथवा 20 लाख लोगो को इस सूची में शामिल नहीं किया गया ।

भारतीय जनता पार्टी NRC को पूरे भारत में लागू करना चाहती थी, लेकिन असम का NRC उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया। सरकार के अनुसार इस सूची से कई वैध नागरिकों को बाहर रखा गया जबकि अवैध प्रवासियों को शामिल किया गया। भारत सरकार NRC की मदद से भारत में अवैध रूप से रह रहे घुसपैठियों की पहचान करने के लिए इसका प्रयोग करना चाहती है, ताकि उन्हें हिरासत में लिया जा सके और उन्हें असम से हटाया जा सके।

CAB क्या है? CAB का NRC से क्या लेना?

अब अगर हम बात करे CAB की, CAB धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव करता है जो भारत के तीन पड़ोसी देशों- पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान- में धार्मिक उत्पीड़न या सताए जाने के डर से भाग गए हैं। इसमें छह गैर-मुस्लिम समुदाय – हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शामिल हैं।

CAB की वजह से हाल तक भारतीय नागरिकता का पात्र होने के लिए भारत में 11 साल तक रहना अनिवार्य था। मगर अब यह सीमा को घटाकर छह साल कर दिया है।

अब जब आप CAB और NRC को समझ गए है तो चलिए जानते है इन दोनों के बीच के अंतर को।

CAB किन बातों पर ज़ोर देता है?

  1. CAB धर्म के आधार पर भारतीय नागरिकता प्रदान करता है।
  2. गैर-मुस्लिम प्रवासियों को CAB से लाभ होने की संभावना है।
  3. CAB पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए है।
  4. CAB 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करेगा।

NRC किन बातों पर ज़ोर देता है?

  1. NRC का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।
  2. NRC का उद्देश्य असम में रह रहे ‘अवैध अप्रवासियों’ की पहचान करना था, जो ज्यादातर बांग्लादेश से थे।
  3. NRC का उद्देश्य सभी गैरकानूनी अप्रवासियों को उनके धर्म के बावजूद निर्वासित करना है।
  4. NRC में वे लोग शामिल होंगे जो यह साबित कर सकते हैं कि या तो वे या उनके पूर्वज 24 मार्च 1971 को या उससे पहले भारत में रहे थे।

असम में लोग CAB के खिलाफ क्यों प्रदर्शन कर रहे है?

असम के प्रदर्शनकारियों को लगता है कि CAB बिल से राज्य में गैर-मुस्लिम प्रवासियों को फायदा होगा। और राज्य के समूहों को लगता है कि यह 1985 के असम समझौते को रद्द कर देगा। जो ये कहता है की 24 मार्च 1971 को अवैध शरणार्थियों के निर्वासन के लिए कट-ऑफ तारीख के रूप में निर्धारित किया गया था।

भारत के ग्रह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है की नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) मुसलमानों सहित किसी भी भारतीय नागरिक को प्रभावित नहीं करेगा।

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